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दीलदहला देनेवाला मामला ; अँब्युलन्स न मिलने से माता पिता ने कंधे पर ढोए बच्चो के शव 

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बच्चो के शव लेकर 15 किमी का सफर पैदल किया तय 

गडचिरोली  / नवप्रहार डेस्क 

भारत एक और अपने आप को जहा विकासनशील देश कहलाता है। पर गड़चिरोली जिले में घटित एक घटना ने सरकार के दावे की सारी पोल खोल दी है। तथा प्रशासन का सही चेहरा जनता के आगे ला दिया है । इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है । इस मामले के बाद आम जनता में काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है ।

15 किमी तक कीचड़ भरी सड़क पर चले पैदल –  पहले झाड़फुक का इलाज करने के बाद यह दंपति अपने दोनो बेटो के लेकर दवाखाना गए थे । पर तब तक यह मासूम दम तोड चुके थे । इसमें से एक की उम्र छह तथा एक की साढ़ेतीन साल है । जहा इन मासूमों ने दम तोड़ा वहा के अस्पताल में एंबुलेंस नही थी । वजह दूसरी जगह फोन लगाया गया । पर इस दंपति  का अपने कलेजे के टुकड़ों को खोने के बाद संयम जवाब दे चुका था। वजह यह गारा भरे रास्ते से पैदल ही 150किमी चलकर गांव पहुंचे ।

समय पर इलाज न हो पाने से दोनो मासूमों ने तोड़ा दम – इन दोनो मासूमों की तबियत खराब होने के बात इन्हे बजाए स्वास्थ केंद्र के झाडफुक वाले ओझा के पास ले जाया गया । जहा इन मासुमो को जड़ी बूटी खिलाई गई । जिसके बाद इनकी हालत और बीघड़ गई । फिर इन्हे प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के जाया गया । पर तब तक बहुत दे हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया ।

यह कोई पहला वाकया नही है – नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में ऐसी घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। इससे पहले भी भामरागढ़, एटापल्ली और अहेरी तहसील के दूरदराज के गांवों से ऐसी खबरें सामने आती रही हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की घोर कमी है। कहीं एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होती, तो कहीं डॉक्टर की अनुपस्थिति रहती है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें तक नहीं हैं, और इस गंभीर स्थिति के बावजूद बड़े नेता और मंत्री यहां की हालत सुधारने में असफल रहे हैं।

विपक्ष ने की कड़ी आलोचना –  यह घटना उजागर होने के बाद जनता में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। वही विपक्ष ने इस घटना की घोर निंदा की है।

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मुख्य संपादक : संजय पांडे

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