हटके
अति आत्मविश्वास युवक को ले डूबा ; एक छोटीसी भूल से खोनी पड़ी सरकारी नोकरी

खंडवा ( मध्यप्रदेश ) / नवप्रहार न्यूज नेटवर्क
अति आत्मविश्वास तथा एक भूल भविष्य पर क्या असर डाल सकती है यह पहाड़सिंह से भलीभांति कोई नही जान सकता.पहाड़सिंह की एक गलती से उसके हाथ से सरकारी नोकरी पाने का सुनहरा अवसर चुद गया. इसके बाद शायद पहाड़सिंह रातमें सोने से भी घबरा गया होगा.
माजरा यू है कि खंडवा में वनरक्षक भर्ती के लिए 24 किलोमीटर की दौड़ 4 घंटे में पूरी करनी थी। इस भर्ती परीक्षा में मध्य प्रदेश के 16 जिलों के युवकों ने भाग लिया । मंगलवार सुबह एक साथ 61 युवाओं ने दौड़ शुरू की। मध्यप्रदेश के डबरा से आए एक उम्मीदवार पहाड़ सिंह भी दौड़े। पहाड़ सिंह ने तीन घंटे में ही 21 किमी की दूरी तय कर ली। जब पहाड़ सिंह ने पीछे मुड़कर देखा तो दूसरे प्रतिभागी दिखाई नहीं दिए। उसने सोचा कि इन लोगों को आने में देर लगेगी। थोड़ा आराम कर लेते हैं। बस इसी गलती ने उसकी अच्छी-भली होती जीत को हार में बदल दिया। पहाड़ सिंह सड़क किनारे खड़े डंपर की आड़ में लेट गया। इसी बीच उसे थकान की वजह से नींद आ गई। नींद भी ऐसी लगी कि दौड़ का समय खत्म होने के बाद तक वहीं सोता रहा।
दौड़ पूरी होने पर पहाड़ सिंह गायब मिला
दौड़ पूरी होने के बाद जब वन अमले ने धावकों की गिनती की तो पहाड़ सिंह गायब था। उसे ढूंढने वन विभाग का अमला गाड़ी लेकर निकला तो वह सड़क किनारे सोता मिला। थोड़े से आलस के कारण पहाड़ सिंह सबसे क्षमतावान होने के बावजूद वनरक्षक की भर्ती से बाहर हो गया। दौड़ में हिस्सा लेने वाले अन्य सभी 60 युवाओं ने दौड़ की परीक्षा पास कर ली।
दौड़ पूरी होने के बाद जब वन अमले ने धावकों की गिनती की तो पहाड़ सिंह गायब था। उसे ढूंढने वन विभाग का अमला गाड़ी लेकर निकला तो वह सड़क किनारे सोता मिला। थोड़े से आलस के कारण पहाड़ सिंह सबसे क्षमतावान होने के बावजूद वनरक्षक की भर्ती से बाहर हो गया। दौड़ में हिस्सा लेने वाले अन्य सभी 60 युवाओं ने दौड़ की परीक्षा पास कर ली।
यह थे दौड़ के नियम
डीएफओ देवांशु शेखर ने बताया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवक-युवतियों के लिए वनरक्षक पद की भर्ती के लिए दौड़ की परीक्षा थी। खंडवा जिले के लिए 38 पद हैं। इन पदों के लिए तीन गुना फार्म भरे गए थे। 61 युवा (9 महिला व 52 पुरुष) अभ्यर्थी परीक्षा देने पहुंचे। परीक्षा के प्रथम चरण में पुरुषों के लिए 24 और महिलाओं के लिए 14 किलोमीटर की दौड़ रखी थी। इसे 4 घंटे में पूरा करना था। सुबह साढ़े 6 बजे केंद्रीय विद्यालय से दौड़ शुरू कर अमलपुरा तक जाना और फिर स्कूल तक ही सुबह साढ़े 10 बजे तक लौटना था। एक को छोड़कर शेष 60 अभ्यर्थियों ने समय पर दौड़ पूरी कर ली। एक अभ्यर्थी पहाड़ पिता प्रेम सिंह (21) निवासी पिछोर गढ़ी ग्राम (डबरा) नहीं लौटा। वह दौड़ पूरी होने के तीन किमी पहले सो गया
डीएफओ देवांशु शेखर ने बताया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवक-युवतियों के लिए वनरक्षक पद की भर्ती के लिए दौड़ की परीक्षा थी। खंडवा जिले के लिए 38 पद हैं। इन पदों के लिए तीन गुना फार्म भरे गए थे। 61 युवा (9 महिला व 52 पुरुष) अभ्यर्थी परीक्षा देने पहुंचे। परीक्षा के प्रथम चरण में पुरुषों के लिए 24 और महिलाओं के लिए 14 किलोमीटर की दौड़ रखी थी। इसे 4 घंटे में पूरा करना था। सुबह साढ़े 6 बजे केंद्रीय विद्यालय से दौड़ शुरू कर अमलपुरा तक जाना और फिर स्कूल तक ही सुबह साढ़े 10 बजे तक लौटना था। एक को छोड़कर शेष 60 अभ्यर्थियों ने समय पर दौड़ पूरी कर ली। एक अभ्यर्थी पहाड़ पिता प्रेम सिंह (21) निवासी पिछोर गढ़ी ग्राम (डबरा) नहीं लौटा। वह दौड़ पूरी होने के तीन किमी पहले सो गया
वनकर्मी निकले प्रतिभागी को ढूंढने
रेंजर जेपी मिश्रा ने बताया कि वन स्टाफ ने दौड़ के रास्ते में जगह-जगह चेकपोस्ट लगाए थे। चेकपोस्ट पर खड़े कर्मचारियों ने बताया कि 21 किमी की दूरी पहाड़ सिंह ने सुबह 9:17 बजे महज तीन घंटे में पूरी कर ली थी। दौड़ में सबसे आगे पहाड़ सिंह ही था। वह रास्ते में रुक गया और दौड़ खत्म होने के बाद भी सोता रहा। वह दौड़ पूरी करने से महज तीन किलोमीटर ही दूर था। बाद में वन अमले की टीम ने उसे जगाया
रेंजर जेपी मिश्रा ने बताया कि वन स्टाफ ने दौड़ के रास्ते में जगह-जगह चेकपोस्ट लगाए थे। चेकपोस्ट पर खड़े कर्मचारियों ने बताया कि 21 किमी की दूरी पहाड़ सिंह ने सुबह 9:17 बजे महज तीन घंटे में पूरी कर ली थी। दौड़ में सबसे आगे पहाड़ सिंह ही था। वह रास्ते में रुक गया और दौड़ खत्म होने के बाद भी सोता रहा। वह दौड़ पूरी करने से महज तीन किलोमीटर ही दूर था। बाद में वन अमले की टीम ने उसे जगाया
एक साल से कर रहा है तैयारी
पहाड़ सिंह ने कहा कि मैं एक साल से आर्मी की तैयारी कर रहा था। सुबह उठकर रोज रनिंग करता था। वनरक्षक की दौड़ में सबसे आगे मैं ही था लेकिन पैर में छाले आ गए थे। थक भी गया था तो सोचा कि अभी तो सभी बहुत दूर हैं। थोड़ा छाया में बैठ जाता हूं। लेकिन नींद ऐसी लगी कि दौड़ खत्म होने के बाद भी नहीं टूटी। मुझे बहुत दुःख है कि जीतते-जीतते मैं हार गया। थोड़े से आलस्य ने मेरी साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया।