साध्वीजी भगवंत का 14 वर्ष लगातार किए वर्षीतप का पूर्णाहुति पारणा यवतमाल में
यवतमाल के जैनियों में उल्लास एंव आनंद
यवतमाल/ प्रतिनिधि
अक्षय तृतीया पर्व पूरे विश्व के जैन समाज में तीर्थंकर ऋषभदेव भगवान के वर्षीतप के पारणे के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। जैन धर्म में वर्षीतप का बहुत महत्व हैं। इसमे 13 महीनों तक धार्मिक क्रियाएं करते हुए, एक दिन उपवास ,अगले दिन एकासना किया जाता हैं।*
*प्रति वर्ष हज़ारो श्रावक श्राविकाएं वर्षीतप का प्रारंभ, चैत्र वदी आठम को आरम्भ यानी आदिनाथ प्रभू के दीक्षा एंव जन्म कल्याणक के दिन वर्षीतप शुरू किया जाता है जो अगले वर्ष के अक्षय तृतीया पर सम्पूर्ण होता हैं l वर्षीतप करने वाले तपस्वी इसी दिन पारणा कर तप की पूर्णता करते है।* *संत-साध्वियों के सानिध्य में होने वाले पारणा महोत्सव को लेकर अनुयायियों में उत्साह रहता है। आखातीज पारणा महोत्सव के लिए कई श्रावक-श्राविकाएं पालीताणा (गुजरात) एवं हस्तिनापुर तीर्थ भी जाते है l*
*पहली बार, यवतमाल जैन समुदाय के पुण्योदय से अक्षय तृतीया पर , किसी प. पू. साध्विजी भगवंत के 14 वे वर्षीतप का पारणा कराने का सुअवसर श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संघ, लकड़गंज , यवतमाल को प्राप्त हुआ है।*
*प पू आचार्य भगवंत युगदिवाकर श्री धर्मसुरीश्वरजी म. सा. के समुदाय वर्तिनी साध्वीजी जिनेशकलाश्रीजी म. सा. के शिष्या साध्वीजी,* *तीर्थेशकलाश्रीजी म. सा. के १४ वे वर्षीतप का पारणा, संघ की विनंती पर यवतमाल को प्राप्त हुआ है।
अक्षय तृतीया- वर्षीतप पारणा निम्मिते ता. १० मई २०२४* शुक्रवार को पंच कल्याणक पूजा का आयोजन – प्रातः ९ बजे श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संघ, लकड़गंज ,यवतमाल ने किया जिसके लाभार्थी थे, मातोश्री कंचनबेन हिम्मतभाई शाह, परिवार मुंबई l
इस युग के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी को दीक्षा के एक वर्ष तक उनके अंतराय कर्म के कारण शुद्ध आहार नहीं मिला।उनके 400 दिनों की निराहार तपस्या का पारणा , हस्तिनापुर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की भूमि पर आदिनाथ प्रभु के पडपोते , श्रेयांस कुमार द्वारा इक्षुरस (गन्ने का रस) से हुआ था। परमात्मा की तपस्या के प्रतिबिम्ब स्वरुप पंचम काल के मानव की शक्ति अनुसार आहार संज्ञा के नाश हेतु एकान्तरे उपवास की वार्षिक तपस्या रूप वर्षीतप किया जाता है।*
*केसरिया भवन के पदमलक्ष्मी सभागृह में साध्वी भगवंत के,* *लगातार चलने वाले 14 वे वर्षीतप के पारणे की हर्षोल्लास के साथ पूर्णता , साध्वी जी को गन्ने का रस अर्पण कर हुई, केसरिया भवन में जैन मंदिर के अध्यक्ष सुभाष जैन के साथ अनेक ट्रस्टी, और बड़ी संख्या में जैन श्रावक-श्राविकायें, उपस्थित थे, कार्यक्रम का संचालन स्वाध्याई वीरेंद्र मुथा ने किया l