महाराष्ट्र के राजकारण मे चल रहा सत्ता संघर्ष और मराठा आरक्षण के नाम पर जल रहा है महाराष्ट्र ये चिंता का विषय –पूर्व सांसद खुशाल बोपचे
महाराष्ट्र के राजकारण मे चल रहा सत्ता संघर्ष और मराठा आरक्षण के नाम पर जल रहा है महाराष्ट्र ये चिंता का विषय –पूर्व सांसद खुशाल बोपचे
संजीव भांबोरे
– भंडारा( जिल्हा प्रतिनिधी )महाराष्ट्र के राजकारण मे चल रहा सत्ता संघर्ष और मराठा आरक्षण के नाम पर झुलस्ता ( जलता ) महाराष्ट्र यह चिंतनिय देश के नेता आदरणीय शरद चंद्र जी पवार साहब जिन्होने पुरोगामी विचारो से ओत प्रोत कर देश के अन्य राज्यो की तुलना महाराष्ट्र को अग्रॅगन्य राज्य और कायदे का महाराष्ट्र यह परीभाषित
किया गया था मगर पिछले कुछ वर्ष मे पुरोगामी महाराष्ट्र मे कायदे कानून की धज्जीया उडाई जा रही है l
महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था प्राजतंत्र ( लोकशाही ) इनपर प्रश्न चिन्ह उपस्थित हो रहे है l इनके दुरगामी
परिणाम महाराष्ट्र और देश के भी लोकतंत्र को भुगतने पडेंगे मराठा आरक्षण के नाम पर लोकतंत्र और कानून व्यवस्था जिस प्रकार लडखडा रही है शर्मसार हो रही है l
लोकशाही मे अपनी बात रखना तथा अपनी बात के लिए
उपोषण संघर्ष करना यह प्राजतंत्र के अपने हतीयार है l
इनको कानून व्यवस्था मे जोडकर कार्य करना चाहिए l
मगर मै कहता हू इसलिये वों हि रास्त है l आज मराठा आरक्षण के आड मे कोई एक व्यक्ती मै याने कायदा
इस भाषा को लेकरं अगर संघर्ष करते होंगे तो यह रास्त
पद्धत नहीं है l 75 साल से इस देश का ओबीसी अपनी सवैधानिक मांगो को लेकरं लढ रहा है मगर
10 % लोग अपनी मांग को लेकरं अळीग होते होंगे तो
आज 60% ओबीसी कोई कम कुवत है ये समजना गलत होंगा ये सारे प्रश्न ओबीसी का हो मराठा हो जातनिहाय
जनगणना के कारण प्रलंबीत है l इसलिये जबतक
जातनिहाय जनगणना केंद्रीय सरकार नहीं कराती
तबतक देश राज्य इन सारे प्रश्न से झुलस्ते हि रहेंगे l